रुद्राक्ष मनुष्य के जीवन में भगवान शिव द्वारा प्रदान किया हुआ एक महत्वपूर्ण उपहार हैं कथानुसार, जब भगवान शिव ने त्रिपुर नामक असुर के वध के लिए जा रहे थे तब महाघोर रूपी अघोर अस्त्र का चिंतन कर रहे थे तब उनके नेत्रों से आंसुओं की कुछ बूंदे धरती पर गिरीं, जिनसे रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई जिससे रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है । हमारे शास्त्रों में वर्ण के अनुसार, रुद्राक्ष का वर्गीकरण किया गया है। मनुस्य को रुद्राक्ष धारण करने लिए रुद्राक्ष हमेशा कांटेदार और प्राकृतिक छिद्र से युक्त होना चाहिए। जो रुद्राक्ष कहीं से टूटा-फूटा- कटा और कृत्रिम छिद्र से युक्त हो, ऐसा रुद्राक्ष धारण करने योग्य नहीं माना जाता है।
रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे ज्यादा सोमवार का दिन शुभ माना जाता है। सोमवार के दिन सुबह सूर्य उगने से पहले पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके आसन पर बैठकर रुद्राक्ष को दूध व गंगाजल से स्नान कराकर फिर रुद्राक्ष का पूजन कर लाल धागे या सोने चांदी के तार में पिरोकर शिव प्रतिमा या शिव लिंग से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए। इस प्रक्रिया में शिव का पंचाक्षर मंत्र जाप करते रहना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य अपने कंठ में बत्तीस, मस्तक पर चालीस, दोनों कानों में छह-छह, दोनों हाथों में बारह-बारह, दोनों भुजाओं में सोलह-सोलह, शिखा में एक और वक्ष पर एक सौ आठ रुद्राक्ष धारण करता है। वह साक्षात शिव का रूप होता है।
रात को सोते समय रुद्राक्ष उतार कर सोना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांस व मदिरा से दूर रहना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से शिव की कृपा और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को खुश करने के लिए रुद्राक्ष का पूजन और दान करना श्रेस्ठ माना गया है। रुद्राक्ष के दर्शन, धारण और स्पर्श करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है और इसकी माला का मंत्र जाप करने से भी पुण्य प्राप्त होता है।
इसके अतिरिक्त, जो मनुष्य अपने सिर पर रुद्राक्ष धारण कर स्नान करता है, उसे पवित्र गंगा में स्नान करने का फल प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि तीर्थ स्नान, दान, जप, यज्ञ, देव पूजन व श्राद आदि कार्य बिना रुद्राक्ष धारण किये हुए नहीं करना चाहिए, नहीं तो वे सारे कार्य निष्फल हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के समय जिस मनुष्य के गले में रुद्राक्ष रहता है, वह सीधे स्वर्ग जाता है। रुद्राक्ष धारण करने से ग्रह बाधा और भूत-प्रेत का भी शमन होता है।
भागवत पुराण के अनुसार, जिस मनुष्य के पास एक मुखी रुद्राक्ष होता है, उसके घर में लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं। इसके अलावा शिव भगवान ने कहा है कि शरीर में रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। मनुष्य को रुद्राक्ष हमेशा ह्रदय के पास धारण करना चाहिए, इससे हृदय का कम्पन,हृदय रोग और ब्लड प्रेशर आदि समस्यावों में आराम मिलता है। सारे रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष श्रेष्ठ माना गया है।
रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक पाया जाता है, लेकिन कहीं-कहीं बाइस मुखी रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं, जिनको धारण करने से अलग-अलग नियम और फल प्राप्त होतें है। एकमुखीगोल रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होता है। इसलिए ये नकली बनाकर महंगे दामों पर बाजार में बेचे जाते हैं। यहां तक कि रुद्राक्ष पर नकली त्रिशूल शिवलिंग ॐ आदि के ख़ास चिह्न भी बनाकर बेचे जाते हैं। इन्हें अगर गौर से देखकर पता लगाया जाये, तो नकली रुद्राक्ष पहचाना जा सकता है।