मकर संक्रांति का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Makar Sankranti

मकर संक्रान्ति के विविध रूप

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। सम्पूर्ण भारत में मकर संक्रान्ति विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति विभिन्न प्रान्तों में अलग-अलग नाम और रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। फसल कटाई का आगमन भी इसी दिन से मान लिया जाता है। यह किसानों द्वारा बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है और साथ ही वसंत ऋतू के आगमन की ख़ुशी में भी मनाया जाता है। सभी राज्यों में लोग पतंग उड़ाते हैं ताकि सूर्य देव प्रसन्न हों।

संक्रांति का अर्थ

साल की 12 संक्रांत‌ियों में से मकर संक्रांत‌ि एक राशि है जिसका सबसे ज्यादा महत्व है। क्योंक‌ि इस द‌िन सूर्य देव मकर राश‌ि में आते हैं।सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में जाने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

मकर संक्राति Surya Dev

मकर संक्रांति कब और क्यों मनाया जाता है?

ज्योत‌िष शास्त्रों में शन‌ि महाराज को मकर और कुंभ राश‌ि का स्वामी बताया गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना “मकर-संक्रांति” (Makar Sankranti) कहलाता है। यह त्यौहार अधिकतर जनवरी माह की चौदह या पंद्रह तारीख को मनाया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य कब धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं।

मकर संक्रान्ति के भारत में विभिन्न नाम

इस पर्व को देश में कई नामों से जाना जाता है जैसे बिहार में खिचड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरला में यह पर्व केवल संक्रान्ति, असम में बिहू आदि।

मकर संक्रान्ति का महत्व

मकर राशि में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

मकर संक्रांति के कई पौराणिक कथाएं

  • ऐसी मान्यता है की इस दिन भगवान भासकर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वम् उनके घर जाते है शनिदेव मकर राशि के स्वामी है अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है
  • महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था।
  • मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं।
  • इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी व सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है।
  • यशोदा जी ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति थी। कहा जाता है तभी से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन हुआ।

मकर संक्रांति व्रत विधि :

भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। मकर संक्रांत‌ि के द‌िन उड़द दाल में ख‌िचड़ी बनाकर दान करें और स्वयं भी भोजन करें। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए।
मान्यतानुसार इस दिन तीर्थों में या गंगा स्नान और दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। ऐसा करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही संक्रांति के पुण्य अवसर पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण अवश्य प्रदान करना चाहिए।

गंगासागर तीर्थयात्रा का महत्व

भारत की नदियों में सबसे पवित्र गंगा, गंगोत्री से निकल कर पश्चिम बंगाल में जहां उसका सागर से मिलन होता है, उस स्थान को गंगासागर कहते हैं। यह स्थान देश में गंगासागर मेला, के लिए सदियों से विश्व विख्यात है। इस तीर्थस्थल पर कपिल मुनि का मंदिर है। मान्यता है कि यहां मकर संक्रांति पर पुण्य-स्नान करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

मकर संक्रान्ति का वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति ठंड के मौसम जाने का सूचक हैं। इसके बाद से दिन बडे हो जाते हैं और मौसम में गर्माहट आने लगती है।

मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का महत्व बहुत है।

मकर संक्रांति में उत्तर भारत में ठंड का समय रहता है। ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने पर शरीर को ऊर्जा मिलती है। जो सर्दी में शरीर की सुरक्षा के लिए मदद करता है।

इस दिन खिचड़ी का सेवन करना पाचन को दुरुस्त रखती है। इसमें अदरक और मटर मिलाकर बनाने पर यह शरीर को रोग-प्रतिरोधक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।

रंगबिरंगी पतंगे उड़ाना

यह पर्व सेहत के लिहाज से बड़ा ही फायदेमंद है। सुबह-सुबह पतंग उड़ाने के बहाने लोग जल्द उठ जाते हैं वहीं धूप शरीर को लगने से विटामिन डी मिल जाता है। इसे त्वचा के लिए भी अच्छा माना गया है। सर्द हवाओं से होने वाली कई समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

Flying Kites

मकर  संक्रांति  पूजा  मंत्र
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की निम्न मंत्रों से पूजा करनी चाहिए।
ऊं सूर्याय नम: , ऊं आदित्याय नम: , ऊं सप्तार्चिषे नम:
अन्य मंत्र हैं- ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम:
ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:

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