जानिए गणेश जी का वाहन कैसे बना चूहा?

जानिए गणेश जी का वाहन

देवों में सर्वप्रथम पूज्य गणेश जी का वाहन चूहा है। चूहा जिसे संस्कृत में मूषक कहते हैं, जो कि शारीरिक आकार में छोटा होता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है तो चूहा को तर्क-वितर्क का प्रतीक माना गया है। चूहे में इसके अलावा और भी कई गुण होते हैं, यही कारण है कि गणेशजी ने चूहे को ही अपना वाहन चुना था। हिन्दू धर्म एक मात्र ऐसा धर्म है जहां ना केवल देवी-देवताओं को, बल्कि साथ ही वे जिनकी सवारी करते हैं उनकी भी पूजा की जाती है। उदाहरण के लिए शिवजी के वाहन नंदी हर शिव मंदिर में पूजनीय हैं, आदि शक्ति के साथ उनकी सवारी शेर को भी पूजा जाता है। विष्णु जी के शेषनाग को भी पूजनीय माना गया है।

Play or Download Ganesh Ji Aarti  [Download MP3]  (right click and select save target/link as…)

क्यों गणेश जी ने चूहे को बनाया अपना वाहन

गणेश जी की हर तस्वीर या मूर्ति में हम एक मूषक को भी उनके साथ पाते हैं। कभी गणेश जी मूषक पर सवार हैं तो कभी मूषक उनके पास सेवा भाव में खड़ा है। लेकिन आखिर यह चूहा कैसे बना गणेश जी का वाहन?, जानिए एक दिलचस्प पौराणिक कथा। एक कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब महर्षि पराशर अपने आश्रम में तपस्या में लीन थे। तभी वहां पर कई सारे चूहे आ गए और उनका ध्यान भंग करने लग गए। और वहां आये सारे चूहों ने आश्रम को ख़राब कर दिया। धीरे-धीरे करके उसने सम्पूर्ण आश्रम की दशा ही बदल डाली। उसके खुराफात की सीमा तो तब टूट गई जब उसने ऋषियों के वस्त्र और ग्रंथों तक को कुतर डाला।तभी महर्षि पराशर का ध्यान भंग हो ही गया। ऋषि इस समस्या के उपाये हेतु गणेश जी का स्मरण करने लगे। जब गणेशजी को महर्षि पराशर की समस्या के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने सभी चूहों को वहां से दूर भगाने के लिए अपना पाश ( रस्सी नुमा शस्त्र) फेंका।

वहां आश्रम में एक चूहा ऐसा भी था जो वहा सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा था। पाश मूषक का पीछा करता हुआ पाताल लोक पहुंच गया और उसे बांधकर गणेश जी के सामने ले आया और विशालकाय रूपी गणेशजी को देखकर वह चूहा इनकी आलोचना करने लगा। गणेश जी ने चूहे से कहा, तुम मेरी शरण में आये हो अब तुम जो चाहो वरदान मांग सकते हो।

चूहा होता ही शैतान है। गणेश जी की इन बातों को सुनकर चूहे में बहुत ज्यादा अहंकार आ गया। और गणेश जी से कहा मुझे आपसे कुछ नहीं मांगना, अगर आपको मुझसे कुछ मांगना है तो आप मुझसे मांग लो, मैं आपको दे दूंगा। गणेश जी चूहे की बातें सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और चूहे से कहा, मूषक यदि तुम मुझे कुछ देना ही चाहते हो तो मेरे आजीवन काल के लिए वाहन बन जाओ।

अपने अभिमान के कारण मूषक गणेश जी का वाहन बन गया। लेकिन यह कार्य कितना कठिन होगा, इस बात से वह चूहा अनजान था। क्योंकि जैसे ही गणेश जी मूषक पर चढ़े गणेश जी के भार से वह दबने लगा और चूहे का घमंड चूर-चूर हो गया। इस पर चूहे ने अपनी गलती की माफी मांगी। मूषक ने गणेश जी से कहा कि प्रभु मैं आपके वजन से दबा जा रहा हूं। कृपया कुछ ऐसा कीजिए कि मैं आपका भार संभाल सकूं। मूषक के कर्तव्य भाव को देखते हुए गणेश जी ने अपना वजन कम कर लिया। और इस घटना से आज तक गणेश जी का वाहन वही चूहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *